संस्कृत में महामृत्युंजय उस व्यक्ति को कहते हैं जो मृत्यु को जीतने वाला हो। इसलिए भगवान शिव की स्तुति के लिए महामृत्युंजय मंत्र का जप किया जाता है। इसके जप से संसार के सभी कष्ट से मुक्ति मिलती हैं। ये मंत्र जीवन देने वाला है। इससे जीवनी शक्ति तो बढ़ती ही है साथ ही सकारात्मकता बढ़ती है। भगवान शिव के ‘महामृत्युंजय मंत्र’ सर्वदोष नाशक मंत्र है। बीमारी हो या दुर्घटना आदि से मृत्यु का भय यह मंत्र सब दूर करता है। इसका जाप शारीरिक एवं मानसिक पीड़ा को भी दूर करता है। इस शिव मंत्र जाप से शरीर रक्षा के साथ बुद्धि, विद्या, यश और लक्ष्मी भी बढ़ती है।

महामृत्युंजय मंत्र का अर्थ

  • त्रयंबकम- त्रि.नेत्रों वाला ;कर्मकारक।
  • यजामहे- हम पूजते हैं, सम्मान करते हैं। हमारे श्रद्देय।
  • सुगंधिम- मीठी महक वाला, सुगंधित।
  • पुष्टि- एक सुपोषित स्थिति, फलने वाला व्यक्ति। जीवन की परिपूर्णता
  • वर्धनम- वह जो पोषण करता है, शक्ति देता है।
  • उर्वारुक- ककड़ी।
  • इवत्र- जैसे, इस तरह।
  • बंधनात्र- वास्तव में समाप्ति से अधिक लंबी है।
  • मृत्यु- मृत्यु से
  • मुक्षिया, हमें स्वतंत्र करें, मुक्ति दें।
  • मात्र न
  • अमृतात- अमरता, मोक्ष।

मंत्र में 32 शब्दों का प्रयोग

  • इस मंत्र में 32 शब्दों का प्रयोग हुआ है और इसी मंत्र में ॐ’ लगा देने से 33 शब्द हो जाते हैं। इसे ‘त्रयस्त्रिशाक्षरी या तैंतीस अक्षरी मंत्र कहते हैं।

महामृत्युंजय संकल्प मंत्र

  • श्रीमहामृत्युंजय मंत्रस्य अमुक संख्यापरिमितं जपमहंकरिष्ये वा कारयिष्ये।

महामृत्युंजय प्राण प्रतिष्ठा मंत्र

  • ॐ नमो भगवते वासुदेवाय ॐ गुरवे नमः।
  • ॐ गणपतये नमः। ॐ इष्टदेवतायै नमः।
  • इति नत्वा यथोक्तविधिना भूतशुद्धिं प्राण प्रतिष्ठां च कुर्यात्‌।